बेरोज़गारी की कोख से पैदा हुए पत्रकार, कर रहे हैं पत्रकारिता को शर्मसार।
मुस्तकीम मंसूरी यूपी प्रभारी बेताब समाचार एक्सप्रेस। M.A.Mansoori बरेली, पत्रकारिता को हमारे देश में चौथा स्तंभ कहा जाता है, उसी पत्रकारिता को बेरोजगारी की कोख से पैदा हुए पत्रकार कर रहे हैं शर्मसार, यह प्रश्न बड़ा विचारणीय है प्रशासन के लिए। हमारे देश में पत्रकारिता को चौथे स्तंभ का दर्जा क्यों दीया गया। क्यों कि पत्रकार जनता, प्रशासन और शासन के बीच समस्याओं के समाधान की कढ़ी बनकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्यूंकि आम जनता को अपनी समस्याओं और न्याय के लिए दर-दर भटकना ना पड़े, शासन और प्रशासन तक जनता कि समस्याओ, और शासन प्रशासन की कार्य योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने का कार्य करता है। लेकिन आजकल पत्रकारिता एक ऐसा पेशा बनता जा रहा है। जिसमें सही पत्रकारों को भी लोग गलत समझने लगे हैं। दग़दार होती पत्रकारिता का मुख्य कारण यह है कि गाड़ी पर प्रेस लिखवा कर, हाथ में किसी भी यूट्यूब चैनल का माईक या गले में किसी भी वेबसाइट के नाम पर आईडी टांग कर शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों की गलियों, चौराहों, थानों, चौकियों, सरकारी कार्यालयों, में घूमते फर्ज़ी पत्रकारों के सक्रिय गैंग जो कुछ सरकार...