ग़ैरों की गुलामी छोड़कर मुसलमान तालीम, तिजारत और तरबियत" का फार्मूला 3T अपना कर अपनी नस्लों को सुधारिए !

 रिपोर्ट-मुस्तकीम मंसूरी 


कैसी आवाज़ उठाए, काहे का आंदोलन करे... ? 

जर्मनी में जब 10 साल में 60 लाख यहूदियों का कत्लेआम हुआ तो उन्होंने किसी से नहीं कहा था कि उनपर ज़ुल्म हो रहा है, कोई उनके लिए बोले , उन्होंने किसी से शिकायत नहीं की कि कोई उनके लिए आवाज़ नहीं उठा रहा है। उन्होंने किसी पर दरी बिछाने का आरोप भी नहीं लगाया , हकीकत यह है कि बोलना तो दूर उनसे किसी को दया नहीं आई, बोलना तो दूर किसी देश ने उन्हें शरण तक नहीं दी सिवाय अरब देशों के।

उससे बुरे हालात तो नहीं तुम्हारे?

यहूदियों ने किसी से कोई उम्मीद नहीं की , खुद खड़े हुए, पढ़े पढ़ कर खुद को सिद्ध किया और "अल्बर्ट आइंस्टीन" बने, कमाया तो दुनिया के सारे वित्तीय संस्थानों के मालिक बने और 100 साल के अंदर पूरी दुनिया पर कब्जा कर लिया।आज दुनिया भर के हर बड़े वित्तीय और शिक्षण संस्थान उनके हैं , अमेरिकी राष्ट्रपति कोई भी हो यहूदियों की उंगली पर नाचता है।

हम चाहते हैं कि अखिलेश हमारे लिए बोलें, राहुल गांधी हमारे लिए बोलें।‌ क्या होगा बोलकर? अयोध्या में बलात्कार मामले में अखिलेश यादव ने बोला तो था , उसके बाद और तिव्र गति से घर , बेकरी और शापिंग कांप्लेक्स गिरा दिया गया।

एक अकबरूद्दीन ओवैसी ने बोला तो था , क्या हुआ? उनके बोले हुए अल्फ़ाज़ देश के हर मोबाइल फोन में पहुंच गये और उसका जितना फाएदा भाजपा ने उठाया उतना शायद ही किसी वीडियो से उठाया गया होगा। कहने का मतलब यह है कि किसी के बोलने से कुछ नहीं होता, बल्कि ज़ुल्म और बढ़ता है और अधिक नुकसान ही होता है। 

असदुद्दीन ओवैसी अकेले संसद में बोलते हैं, क्या फायदा होता है? बल्कि देख कर अफसोस होता है कि उनकी बातों को कोई तवज्जो नहीं दी जाती , वह फड़फड़ाते रहते हैं, सब अनसुना हो जाता है और फिर सरकार को यह सिद्ध करने में आसानी हो जाती है कि मुल्लों को टाईट किया जा रहा है इसीलिए ओवैसी संसद में फड़फड़ा रहें हैं।

आपके हालात 1920 के दौर के यहूदियों जैसे नहीं हैं, ना 2024 का भारत 1920 का जर्मनी है। मौजूदा भारत में अभी आपके लिए बहुत स्पेस है बहुत स्वतंत्रता है , जो भी है प्रयास करने के लिए बहुत है।

अभी भी भारत में एक बहुत बड़ी आबादी आपके साथ है , वह बोले ना बोले कम से कम आपके साथ सहानुभूति रखती है तो खामोशी से उसका साथ दीजिए।

उत्तर भारत में आपके विरोध प्रदर्शन या आंदोलन के लिए कोई जगह नहीं बल्कि ऐसा करना आपके लिए घातक है , दूर रहिए क्योंकि आपके किसी आंदोलन को हिंसक बनाकर आपको जेल में ठूंस देना या आपकी संपत्ति पर बुल्डोजर चलवा देना उनके लिए बहुत आसान है।

शाहीन बाग आंदोलन इस देश में मुसलमानों का इकलौता देश‌व्यापी आंदोलन था , 55 दिन देश भर में शाहीन बाग की दर्ज पर चले आंदोलन से क्या हुआ? कुछ भी नहीं हुआ।

पूरे देश के हर शहर में चले आंदोलन में 55 दिन तक किसी ने एक कंकड़ किसी को नहीं मारा , ना रोहतक जलाया ना ट्रेन की पटरियां उखाड़ीं ना बसें जलाईं गयीं।

सरकार ने जब चाहा कभी कपिल गुर्जर से वहां गोली चलवा दी तो कहीं रामभक्त गोपाल से तो कहीं कपिल मिश्रा को भेजकर दंगा करा दिया। 

अंजाम ? अंजाम यह हुआ कि दिल्ली से लेकर लखनऊ तक सैकड़ों मारे गए, हर शहर के शाहीन बाग आंदोलन के मुस्लिम नेता को UAPA और देशद्रोह में अंदर कर दिया, शरजिल इमाम, खालिद सैफी, खालिद उमर जैसे ना जाने कितने जेलों में अपनी उर्जा और‌ योग्यता को सड़ा रहें हैं।

आपने ज़रा सा प्रदर्शन किया आपको इलाहाबाद का मुहम्मद जावेद बना दिया जाएगा , छतरपुर का शहज़ाद अली बना दिया जाएगा।

आप क्यों नहीं समझते कि उनके पास क्रोनोलाजी है , इधर आप भीड़ इकट्ठा करेंगे उधर उनकी लोकल यूनिट पत्थर जेब में रखकर आपकी भीड़ में घुस जाएगी।

यही हर जगह हुआ है।

इसलिए यहूदियों की तरह सत्ता मे घुसिए, जैसे वह 1920 के अपने आत्याचारी ईसाईयों की सत्ता में घुसकर उन्हें अपनी उंगलियों पर नचाते हैं।

कहने का मतलब यह है कि दलितों से बद्तर होकर आप भारत में आंदोलन तो क्या कुछ नहीं कर सकते। अपने आपसी मामलात साफ रखिए, अपनी ज़कात का इसी दिशा में सही इस्तेमाल कीजिए और चुपचाप गांधी जी के "तीन बन्दर" बन जाईए और 3T पर अमल करिए

तालीम तिजारत और तरबियत

आइंस्टीन बनिए, जुकरबर्ग बनिए , जॉन पेम्बर्टन बनिए। पूरी दुनिया में केवल 1.7 करोड़ यहूदी हैं मगर अमेरिकी डालर का 20% उनके पास है। पूरी दुनिया का सबसे अधिक नोबेल पुरस्कार उनके पास है,  पूरी दुनिया का लगभग सारा मीडिया उनके पास है और विश्व मीडिया के 90 प्रतिशत हिस्से पर केवल 6 यहूदी कंपनियो का नियंत्रण है।

आपके पास क्या है ? ज़िल्लत, रूसवाई, हताश-निराशा, बिखराव, पस्त हौसलें, घबराहट, बैचेनी, बिखराव, ज़हालत, हथाई, सूनी पंचायती, मसलकी दीवारें, बेलगाम नौजवान बच्चे और बच्चियां, ईमान से खाली मुसलमान, क़ौम के मुंह पर कालिख पोतती और गैरों के पीछे भागती क़ौम की शहजादियां, शराब, स्मैक, चरस, गांजा, जुआ, सट्टा में जकड़े हुए मुसलमान ????

आइए अल्लाह का फरमान याद करें : पढ़ अपने रब के नाम से, जिसने पैदा किया ख़ून के जमें हुए लोथड़े से।सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से थाम लो और तफरकें में मत पड़ो।

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