ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम समाज के एक प्रतिनिधि मण्डल ने जगदम्बिका पाल से लखनऊ मैं मुलाक़ात की*

शाहिद खान संवाददाता पीलीभीत* 

लखनऊ में ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम समाज के एक प्रतिनिधि मण्डल ने प्रदेश अध्यक्ष शाहीन अंसारी, के नेतृत्व में जॉइंट पार्लियामेंट कमेटी के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल से मुलाक़ात की शाहीन अंसारी ने मांग की है की वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 के सम्बन्ध में पसमांदा मुस्लिम समाज को आबादी के अनुपात के हिसाब से भागीदारी सुनिश्चित की जाए!शाहीन अंसारी ने कहा की हम वक्फ संशोधन विधेयक,


2024,का समर्थन करते हैँ लेकिन हमारा सुझाव है की वक्फ अलल औलाद’ पर पुनर्विचार कर पसमांदा  मुसलमानों की भागीदारी सुनिष्चित हो अलग-अलग बोर्ड के प्रावधान पर जताई आपत्ति और सुझाव दिया की वक्फ बाई यूजर की पुनर स्थापना हो। शाहीन अंसारी ने कहा की ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज (रजिस्टर्ड), जो देश के दबे-कुचले, पिछड़े, दलित और आदिवासी पसमांदा मुसलमानों के हितों के लिए कार्यरत एक सामाजिक संगठन है, ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर विचार-विमर्श करने और सुझाव देने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष अपना प्रतिनिधिमंडल प्रस्तुत किया।संगठन का उद्देश्य पसमांदा समाज को सामाजिक न्याय दिलाना, उनके अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए आवश्यक सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनैतिक सुधारों को लागू कराना है। इसी क्रम में, संगठन के प्रतिनिधि मण्डल ने विधेयक पर अपनी आपत्तियां और सुझाव प्रस्तुत किए।विधेयक में वक्फ बोर्ड में केवल एक पिछड़े मुस्लिम सदस्य की अनिवार्यता की बात कही गई है।जिसका पसमांदा मुस्लिम समाज स्वागत करता है लेकिन पसमांदा समाज का मानना है कि यह न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि पसमांदा मुसलमान देश की कुल मुस्लिम आबादी का 85 प्रतिशत हैं। पसमांदा मुसलमानों की भागीदारी उनके जनसंख्या अनुपात के अनुसार सुनिश्चित की जाए। शाहीन अंसारी ने उन संपत्तियों के बारे में चिंता व्यक्त की जो ‘वक्फ अलल औलाद’ के तहत वक्फ की गई थीं, लेकिन आज तक उनका लाभ समाज तक नहीं पहुंचा हैं। शाहीन अंसारी ने इस व्यवस्था को समाप्त कर वक्फ संपत्तियों का उपयोग जनकल्याण में किए जाने की मांग की है। विधेयक में वक्फ संपत्ति के सर्वेक्षण का प्रावधान जिलाधिकारी द्वारा किया गया है। श्री अंसारी ने मांग की है कि जिलाधिकारी द्वारा  सर्वेक्षण  समितियों  को  बनाया जाए जिस में पसमांदा मुसलमानों की जनसंख्या के  अनुपात में भागीदारी सुनिश्चित की जाए। विधेयक में बोहरा, आगाखानी और खोजा समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। श्री अंसारी ने इस प्रावधान को अस्वीकार्य बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। साथ ही सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड को समाप्त कर एक मुस्लिम वक़्फ़ बोर्ड बनाने का सुझाव दिया है। शाहीन अंसारी ने विधेयक से वक्फ बाई यूजर को हटाए जाने पर आपत्ति जताई है और इसे पारदर्शी रूप से विधेयक में शामिल करने की मांग की है। शाहीन अंसारी ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और आय-व्यय का लेखा-जोखा हर वर्ष प्रकाशित करने की मांग की है। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में व्यक्त चिंताओं को देखते हुए, ठोस निगरानी उपाय लागू करने का सुझाव दिया गया है। इस कार्यक्रम में संगठन के प्रमुख प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें राष्ट्रीय महासचिव मारूफ अली अंसारी, डॉ. फैयाज अहमद फैजी,राष्ट्रीय सचिव हाशिम पसमांदा , राष्ट्रीय, राष्ट्रीय महासचिव हारून राइनी, लखनऊ महानगर अध्यक्ष फैज अंसारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एडवोकेट शाइस्ता सलमानी प्रमुख रूप से शामिल हुए।

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