प्रदूषण नियंत्रण में आम जन की भूमिका

 आज प्रदूषण नियंत्रण एक भयानक समस्या बन गई है। प्रदूषण निमंत्रण दुनिया भर के देशो के लिये चिन्ता का विषय है, महानगरों की दशा सोचनीय है। भौतिकवाद की अंधी दौड ने मानव को स्वार्थी बना दिया है जिस वजह से जहरीले हवा में सांस लेकर तिल-तिल मर रहे है। प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिये हम सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे तभी हम इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। आज हमारे शहरों में प्रदूषण तेजी से फैल रहा है। दिन-प्रतिदिन अवैध रूप से पेड़ों को काटा जा रहा है। यह सब मिली भगत से हो रहा है। प्रदूषण का विकराल रूप कोविड 19 महामारी के दौरान देखने को मिला, जिसने हमें साफ हवा की कीमत समझा दी है।

 जबकि पर्यावरण संरक्षण संरक्षण हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है परन्तु मानव ने अपने स्वार्थों के लिये प्रकृति का अंधाधुंध दोहन किया है। जिसकी वजह से  प्रदूषण की मार झेलनी पड रही है। सर्दी की दस्तक व वातावरण में नमी के वारण दिल्ली एन सी आर  व आस-पास के जिलों में प्रदूषण पुरी तरह फैल जाता है। बड़े शहरों व महानगरों में इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है। दीपावली के बाद तो प्रदूषण का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है। दिल्ली में आतिश बाजी पर पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली गैस चैम्बर बन जाती है। किसानों द्वारा पराली जलाने से इसका धुआ दिल्ली व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अनेक शहरो को प्रभावित कर रहा है।

 प्रदूषण को कम करना केवल शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी नही है आम जब मानस को भी अपने कृर्तव्य का पालन करना होगा । दीवाली पर AOI में चार गुना तक वृद्धि देखी गई है।दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने के लिये पेडो के अवैध कटान पर रोक जरूरी है। हमे औधोगिक ईकाइयों को शहर से बाहर लगाना चाहिये। इन औधोगिक ईकाइ‌यों से निकलने वाला धुंआ व अन्य प्रदूषण को रोकने के लिये प्रदूषण नियंत्रण यंत्र लगाने चाहिये। शहरों को ग्रीन जोन बनाने के प्रयासकरने चाहिये । वन विभाग एवं एन जी ओ को संयुक्त रूप से अभियान चलाकर प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास करने चाहिये।

प्रदू‌षण नियंत्रण और रोकथाम के लिये यह भी अति आवश्यक है कि विशेष रूप से जन जागरुकता अभियान चलाया जाए। शहरों में वाल पेटिंग, होर्डिंग्स, व अन्य प्रचार-प्रसार के प्रयास करने चाहिये। RWA और सामाजिक संगठनों को प्रदूषण नियंत्रण हेतु विचार गोष्ठी, विस्तृत चर्चा करनी चाहिये। स्कूल-कालेज, स्टूडेंट्स, टीचर मिलकर जन जागरूकता अभियान चलाये।प्रदूषण नियंत्रण में आम जन की भूमिक बहुत अहम है। हम अपने जीवन की दिनचर्या की बात करे तो हमें इस बात पर भी गौर करना होगा कि प्रातः कालीन से प्रारंभ होने वाली गतिविधियां प्रदूषण नियंत्रण में बहुत कारगर साबित हो सकती है। हमे अपने घर का कुडा एकत्रित करके गीला कुडा हरे रंग के कूड़ेदान में तथा सुख कूड़ा नीले रंग के कूडे दान में ही डालना चाहिए। लास्टिक की बोतल, पॉलिथीन, पेपर, गत्ता आदि संरक्षित करे। नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत एवं ग्राम पंचायतों ने कूडे को अलग-अलग करने हेतु गाडियां लगाई गई है। प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करे तो प्रदूषण को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

कहते है कि बूंद -बूंद से ही घडा भरता है, ठीक उसी प्रकार सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। केवल सरकार के भरोसे हम प्रदूषण, को नियंत्रित नही कर सकते।वाहनों का धुंआ पर्यावरण के लिये संकट पैदा करता है।असीमित वाहनों की संख्या बडी समस्या है। हमें सार्वजनिक यातायात के साधनों का अधिक प्रयोग करना चाहिये। आवश्यकतानुसार ही निजी वाहनों का इस्तेमाल करे । अपने आँगन अथवा छतों पर छोटे-छोटे गमलो में पौधे लागाये। जैविक खेती करे। कम बिजली, कम पानी, कम गैस का प्रयोग करके प्रत्येक व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभा सकता है। प्रदूषण नियंत्रण के लिये जलाऊ लकडी का कम से कम प्रयोग करें। वायु प्रदूषण रोकने के लिये अपने वाहनो का ख्याल रखना है। वाहनों का प्रदूषण सर्टिफिकेट समय पर बनवाएं।

 बहुत बार देखा गया है कि कई वाहन धुआं  छोड़ते रहते हैं, वाहनो की फिटनैस प्रदूषण प्रमाण पत्र को सही समय पर बनवाना चाहिये। अपने दैनिक जीवन में पैदल या साइकिल का उपयोग करने से प्रदूषण निरण और स्वास्थय लाभ भी होता है। प्रदूषण के कारण आज मानव बहुत सारी बीमारियों का शिकार होता जा रहा है। सांस फूलना, गले में खरांस  फेफड़े की बीमारियां बढ़ती जा रही है।ग्रहणी रसोई के गीले कूडे से खाद बना सकती है। खरीदारी करते समय घर से कपडे का थैला लेकर चले। पॉलिथीन का प्रयोग न करे। धूम्रपान से बचे। गुटखा खैनी का प्रयोग न करे। तंबाकू बी डी, सिगरेट स्वास्थय के लिये हानिकारक तो है ही इससे प्रदूषण भी फैलता है। एक विशेष बात भी आपसे करनी थी क्योकि हम जब भी मार्केट / बाजार जाते है तो अतिक्र‌मण की बहुत बड़ी समस्या नजर आती है। यह समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। जिसके कारण सड़को की चौडाई घट रही है। टैफिक जाम लग जाता है और यह भी प्रदूषण की बढ़ाता है। वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। रोड के किनारे और डिवाइडर पर पौधे लगाने जाने चाहिये ।

प्रदूषण को नियंत्रित करने के किये जागरुकता फैलाना बेहद जरुरी है। जिसके लिये शासन-प्रशासन को असल सक्रियता लानी होगी। राजनैतिक दलो को भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रयावरण के धर्म को निभाना चाहिये। हमारे त्यौहार, हमारी धार्मिक मान्यताये अपनी जगह पर है मगर हमें गला घोंटू वातावरण से बचने के लिये दीपावली पर ग्रीन पटाखे जलाकर प्रदूषण को नियंत्रित करने में सह‌योग करना चाहिये। बारात में आतिशबाज़ी  से बचना चाहिये। किसानों से विशेष अपील है कि पराली जलाने से बचें। खाद बनाकर उसका प्रयोग करे। कूड़ा करकट को ना जलाएं ताकि धुंआ कम से कम हो। निर्माण कार्य से भी प्रदूषण फैलता है इन दिनों में निर्माण कार्य न करें। आज वायु प्रदूषण से बच्चों में अनीमिया तथा गर्भवती महिलाओं में बीमारिया फैल रही है जिसका सीधा प्रभाव आने वाले बच्चों पर पड़ता है जो भारत का भविष्य है और हमें भारत के भविष्य को बचाने के लिए प्रदूषण पर नियंत्रण करना जरूरी है।

प्रस्तुति-एस.ए-बेताब

मोबाइला - 9015229049

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