दलितों पर बेअसर होती अंबेडकरवादी विचारधारा के कारण मायावती, आकाश आनंद और चंद्रशेखर को हरियाणा के दलितों ने नाकार दिया, आखिर क्यों?

 बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट।

लखनऊ, देश और उत्तर प्रदेश में जब भी दलित राजनीति की बात आती है तो मायावती के बाद दो युवा चेहरों आकाश आनंद और चंद्रशेखर रावण का जिक्र होता रहा है, आकाश आनंद और चंद्रशेखर इन दोनों नेताओं की तुलना होती है भविष्य में दलितों के हक़ के लिए लड़ने वाला नेता कौन! सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक हल्कों में इन दोनों नेताओं की तुलना का विषय अक्सर चर्चा में रहता है, बहुजन समाज पार्टी के प्रमुख समर्थक आकाश आनंद को भविष्य के दलित नेता के रूप में देखते हैं तो वही भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावण भी लोकसभा चुनाव में जीत के बाद एक मजबूत दलित चेहरा बनकर उभरे हैं, और यह दोनों युवा दलित नेता हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपने-अपने गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में थे, जिसका नतीजा आज सबके सामने है।

आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में 2024 लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान चल रहा था और शाम होते-होते एक बड़ी खबर आती है, यह खबर लोकसभा चुनाव में अपने आप को साबित करने में जूती बहुजन समाज पार्टी से जुड़ी हुई होती है कि मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपने उत्तराधिकारी और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से मुक्त करने का ऐलान कर दिया है। और मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को सोशल मीडिया परअपरिपक्व तक बता दिया था,


वही इस फैसले के 47 दिनों बाद आकाश आनंद की फिर से बहुजन समाज पार्टी में वापसी होती है और उत्तराधिकार और बीएसपी के नेशनल कोऑर्डिनेटर का पद एक बार फिर उन्हें मिल जाता है। बहुजन समाज पार्टी में दमदार वापसी के बाद आकाश आनंद को हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीएसपी के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया जाता है, जिसमें मायावती के बाद सबसे ज्यादा आकाश आनंद की रैलियां होती हैं, आकाश आनंद अपनी रैलियों में उत्तर प्रदेश की तरह हरियाणा में भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी और भाजपा के खिलाफ काफी आक्रामक नज़र आते हैं, हरियाणा के चुनावी नतीजों में आकाश आनंद के आक्रामक तेवर का कोई फायदा नहीं मिलता दिख रहा है और  बसपा शून्य की तरफ अग्रसर है।

आपको बताते चले की बीएसपी और आईएनएलडी के बीच हुए गठबंधन के तहत मायावती को हरियाणा चुनाव में लड़ने के लिए 37 सीटें मिली थी, वही  आईएनएलडी ने 53 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, बीएसपी जी एक विधानसभा सीट अटेली पर आगे चल रही थी, सीट पर भी पिछड़ गई, वहां बीएसपी उम्मीदवार अतरलाल बीजेपी की आरती सिंह राव से चुनाव हार गए हैं, वही हरियाणा में अब तक बसपा को 1.78 प्रतिशत वोट मिले हैं, तो वही बात करते हैं उत्तर प्रदेश से आने वाले दूसरे दलित युवा चेहरे की, हरियाणा चुनाव में चंद्रशेखर को उम्मीद थी कि वह लोकसभा चुनाव जैसा कोई करिश्मा कर पाएंगे पर ऐसा कुछ हुआ नहीं, हरियाणा में चंद्रशेखर ने जेजेपी के साथ चुनावी गठबंधन कर रखा था।

जेजेपी के साथ आजाद समाज पार्टी भी 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, वही आज आए चुनावी नतीजों में चंद्रशेखर आजाद रावण और दुष्यंत चौटाला की पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई, आपको बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी कांग्रेस के अलावा जननायक जनता पार्टी को तीसरी बड़ी शक्ति के रूप में देखा जा रहा था, दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली

जेजेपी पिछले विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतकर किंग मेकर बनकर उभरी थी, इस बार भी उम्मीद की जा रही थी की चंद्रशेखर के साथ आने के बाद जेजेपी कुछ कमाल कर पाएगी, पर नतीजे में ऐसा कुछ भी होते नहीं दिखा, आजाद समाज पार्टी के साथ जेजेपी भी हरियाणा में एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं रही, इस तरह हरियाणा में दलितों ने आकाश आनंद, मायावती और चंद्रशेखर को नाकार कर जो संदेश दिया है, उस पर सभी क्षेत्रीय दलों को गंभीरता पूर्वक विचार करना होगा।

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