नौकरी दो या बेरोजगारी भत्ता दो" की मांग को लेकर डी.वाई.एफ.आई. दिल्ली का उपराज्यपाल (LG) कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन

                                                                           28सितंबर 2024 शहीद भगत सिंह की जयंती पर "नौकरी दो या बेरोजगारी भत्ता दो" के नारे के साथ सैकड़ों की संख्या में दिल्ली के युवा डी.वाई.एफ.आई. के बैनर तले आज, 28 सितंबर को, उपराज्यपाल (LG) कार्यालय पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद डी.वाई.एफ.आई. प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम मांग पत्र सौंपा।

प्रदर्शन कर रहे युवाओं ने ‘नौकरी दो या बेरोजगारी भत्ता दो’, ‘शहीद भगत सिंह के सपनों को मंजिल तक ले जाएंगे’, और ‘बेरोजगारी बढ़ाने वाली भाजपा सरकार पर हल्ला बोल’ के नारे लगाते हुए उपराज्यपाल कार्यालय की ओर कूच किया, जहां पुलिस ने बैरिकेडिंग करके प्रदर्शनकारियों को रोकने का प्रयास किया।

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए भारत की जनवादी नौजवान सभा के केंद्रीय कमेटी के सदस्य सुरेश, राज्य अध्यक्ष रिक्ता कृष्णस्वामी, और राज्य सचिव अमन सैनी ने कहा कि मोदी सरकार युवा-विरोधी और रोजगार-विरोधी है, जिसके चलते आज देश और दिल्ली में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। पूरे देश में सरकारी विभागों में लाखों पद खाली होने के बावजूद भर्ती नहीं हो रही है। सरकारी विभागों का लगातार निजीकरण किया जा रहा है और उन्हें बड़े-बड़े पूंजीपतियों के हाथों बेचा जा रहा है। इसका असर हम दिल्ली में भी देख रहे हैं - आज दिल्ली के सरकारी रोजगार कार्यालय में पंजीकृत 20 लाख शिक्षित युवा बेरोजगार हैं। इससे कहीं अधिक बेरोजगारों ने पंजीकरण भी नहीं करवाया है। दूसरी ओर, मोदी सरकार ने लोकतंत्र की हत्या करते हुए चुनी हुई दिल्ली सरकार की शक्तियों को उपराज्यपाल को सौंप दिया है। मोदी सरकार की तरह भाजपा समर्थित उपराज्यपाल के पास नियुक्ति की शक्ति होते हुए भी भर्तियां नहीं हो रही हैं, जिसके कारण दिल्ली की जनता को अस्पतालों में डॉक्टर, स्कूलों में अध्यापक और शिक्षक, पानी की निकासी और सफाई के लिए कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं, जिससे जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।


यह हास्यास्पद है कि भाजपा के दिल्ली प्रदेश के नेता युवाओं की नौकरी और बेरोजगारी भत्ते की मांग का समर्थन करते हैं, जबकि नियुक्ति की सभी शक्तियां भाजपा सरकार द्वारा मनोनीत उपराज्यपाल के पास हैं। भाजपा रोजगार को लेकर कितनी गंभीर है, इसकी स्थिति हमारे संगठन द्वारा दाखिल की गई आरटीआई से स्पष्ट होती है। दिल्ली के बी.आर. अंबेडकर एक्सीलेंस स्कूल में 500 बच्चों पर 3 शिक्षक हैं! दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में 567 डॉक्टरों की कमी है! दिल्ली में 20,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षकों, केंद्र के अस्पतालों में 2,000 से अधिक डॉक्टर, और हजारों की संख्या में नर्सें और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है। सेवा शाखा ग्रेड II और III में 2,860 पद, एलडीसी में 1,331 पद, तकनीकी शिक्षा में 1,800 पद, परिवहन विभाग में 1,228 पद, महिला एवं बाल विकास विभाग में 1,000 पद, पीडब्ल्यूडी में 1,300 पद, दिल्ली जल बोर्ड सहित सरकारी विभागों और एमसीडी में हजारों पद खाली हैं। जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है, उसके मुताबिक कई गुना कर्मचारियों की जरूरत है। उपराज्यपाल द्वारा खाली पड़े पदों को भरने के बजाय मार्शल और सिविल डिफेंस में लगे युवाओं को नौकरी से निकाल दिया गया है, और महीनों से वादे के बाद भी वे अब भी नौकरी की बहाली का इंतजार कर रहे हैं। अब सरकार हजारों ई-रिक्शा चालकों के रोजगार छीनने का काम कर रही है। साथ ही, सरकारी विभागों में ठेकेदारी और निजीकरण का बोलबाला है। अगर सरकार युवाओं को रोजगार देना चाहती है, तो पहले सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर जल्द भर्ती करे और निजीकरण और ठेकेदारी प्रथा को बंद करे।


12 सितंबर 2021 को डी.वाई.एफ.आई. ने केजरीवाल के सीएम आवास पर प्रदर्शन करते हुए सभी बेरोजगारों को 5,000 रुपए मासिक बेरोजगारी भत्ता देने की मांग की थी, जिसके दबाव में दिल्ली सरकार ने 22 अप्रैल 2022 को घोषणा भी की। लेकिन अभी तक दिल्ली के युवाओं को जमीन पर बेरोजगारी भत्ता नहीं मिला है। साथ ही, इसे केवल स्नातक और स्नातकोत्तर तक सीमित कर दिया गया है। इस प्रदर्शन के माध्यम से हमारी सरकार से मांग है कि बिना शर्त सभी बेरोजगार युवाओं के लिए मासिक भत्ते को तुरंत लागू किया जाए।


प्रदर्शन को राज्य कमेटी के सदस्य सुमित, उपासना, विजय महावीर, और प्रियंका ने संबोधित किया। दिल्ली के विभिन्न सरकारी विभागों और एमसीडी में (50 प्रतिशत) खाली पड़े लाखों पदों पर तुरंत भर्ती, सभी बेरोजगार युवाओं को प्रतिमाह 5,000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने, शहरी रोजगार गारंटी योजना कानून बनाने, नशे के कारोबार पर रोक लगाने, ई-रिक्शा चालकों का पंजीकरण/रूट क्लियरेंस शुरू करने, और ई-रिक्शा जब्त करना बंद करने की मांग के साथ ही, सरकारी स्कूलों के मर्जर को बंद करने की मांग को लेकर डी.वाई.एफ.आई. दिल्ली राज्य कमेटी प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम मांग पत्र सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में रिक्ता, सुमित, विजय, और हर्ष शामिल थे। अगर उपराज्यपाल ने इन मांगों पर काम नहीं किया, तो आगामी विधानसभा चुनाव में युवा भाजपा को हराने का काम करेंगे।



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