नगीना-मुख्य विकास अधिकारी की अनुपस्थिति में एसडीएम की अध्यक्षता में चले तहसील सम्पूर्ण समाधान दिवस में।
Report By: Afsar Siddiqui
नगीना (बिजनौर ) कब्रिस्तान वक्फ कमेटी के अध्यक्ष मौ0 इरफान अंसारी ने दंबग दो सगे भाईयों द्वारा सौ वर्ष पुराने सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश लखनऊ में दर्ज कब्रिस्तान पर किए अवैध रूप से क़ब्ज़े को मुक्त कराने की शिकायत दर्ज कराकर कब्रिस्तान को मुक्त कराने कि मांग। शिकायती पत्र में मांग की गई है कि ज्ञात हो कि नगर के बीचोंबीच पुरानी आबादी के मौहल्ला कायस्थी सराय के मौजा हुसैनपुर प्रर्थी के खसरा नंबर 6 के क्षेत्रफल संख्या 0-304 में सौ वर्ष पुराना एक कब्रिस्तान है। जिसमें आज भी पुरानी व नयी कब्रें मौजूद हैं। कब्रिस्तान में पुर्वजों से ही नगर के कई मोहल्लों के मुस्लिम समाज की सभी बिरादरी के मुर्दों का दफीना होता चला आ रहा था। कब्रिस्तान की देखरेख के लिए एक अल्वी परिवार को पूर्वजों ने छोड़ रखा था। 26-2-1979 में कब्रिस्तान की देखरेख कर रहे अल्वी परिवार के सदस्य कब्रिस्तान में खड़े पेड़ों को खुर्द-बुर्द कर रहे थे। तभी आपस में बैठकर दोनों पक्षों का एक समझौता लिखा गया था। कोई भी पक्ष कब्रिस्तान में खड़े पेड़ों,व कब्रिस्तान को खुर्द-बुर्द नहीं करेगा। और ना ही कब्रिस्तान की जमीन को कोई बेचेगा। कब्रिस्तान में मुर्दे जैसे दफन होते चले आ रहे हैं। वह वैसे ही दफन होते रहेंगे। उन्हें कोई भी पक्ष दफन होने से नहीं रोकेगा। अल्वी परिवार जैसे देख रेख करता चला आ रहा है। वैसे ही देखरेख कब्रिस्तान की करता रहेगा।
यह सब एक लिखित समझौता दोनों पक्षों के हस्ताक्षर रहित हुआ था। सभी बिरादरी के लोगों ने उक्त लोगों की नीयत खराब होता देख। कब्रिस्तान का सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश लखनऊ में अहले इस्लाम अलैल खैर के नाम से कब्रिस्तान को वक्फ बोर्ड में दर्ज करा दिया गया था। जिसका क्रम संख्या 350 के वक्फ संख्या 4149 दर्ज है । जोकि बिजनौर के अल्पसंख्यक कार्यालय में रखें रिकार्ड में भी कब्रिस्तान दर्ज है। पूर्व में कब्रिस्तान की देखरेख कर रहे अल्वी परिवार के लोगों ने नगीना तहसील में रहें अपनी बिरादरी के पूर्व लेखपाल से सांठगांठ करके राज्स्व अभिलेखों में कब्रिस्तान के नम्बर में अपने परिवार के नाम लिखवा दिए थे। मुर्दे बदस्तूर कब्रिस्तान में सभी बिरादरी के दफन होते चले आ रहे थे। दो सगे भाई अब्दुल सलाम व मौ० अय्यूब पुत्रगण अब्दुल शकूर जोकि कब्रिस्तान स्थित मौहल्ले में ना रहकर दुसरे मौहल्ले मनिहारी सराय में रहते थे। पहले उन्होंने कब्रिस्तान की देखरेख कर रहे अपने रिश्तेदारों से मिलकर कब्रिस्तान की जमीन में ही रहने के लिए थोड़ी जमीन में अपना मकान बनाया। उसके बाद गुपचुप तरीके से कब्रिस्तान को जोत की जमीन दिखाकर वर्ष 1998 में कब्रिस्तान का फर्ज़ी बैनामा कराकर राज्स्व अभिलेखों में दोनों भाईयों ने अपने नाम दर्ज करा दिए। सभी बिरादरी के मुर्दे बराबर कब्रिस्तान में दफन होते चले आते रहे। वर्ष 2009- 2012 से प्रोपर्टी डीलरों ने जगह जगह अवैध रूप से कालोनी काटने का जाल फैलाया तो जमीनों के रेट बढ़ते देख दोनों संगे भाईयों ने भी कब्रिस्तान को खुर्द-बुर्द करना शुरू कर दिया और कब्रिस्तान में कालोनी काटने की योजना तैयार कर रहे थे। तभी सभी बिरादरी के लोगों ने उनका विरोध करते हुए। उच्चाधिकारियों को लिखित प्रार्थना पत्र देकर कब्रिस्तान को मुक्त कराने के लिए एसडीएम,डी एम,की अध्यक्षता वाले तहसील सम्पूर्ण समाधान दिवस में शिकायतें दर्ज कराकर वक्फ कब्रिस्तान को दंबग भाईयों से मुक्त कराने की मांग करते चले आ रहे हैं।
लेकिन एसडीएम नगीना व
अल्पसंख्यक व वक्फ बोर्ड के अधिकारियों द्वारा इस ओर कोई ध्यान ना दिए जाने के कारण। तीन चार वर्षों से दंबग दोनों संगे भाईयों ने अपनी दबंगई दिखाते हुए। कब्रिस्तान में मुर्दों को दफन नहीं होने दे रहे हैं। और ना ही कब्रिस्तान में खड़े झाड़-झंखाड़ की सफाई करने दे रहे हैं। और वह लड़ने मरने को तैयार हो जाते हैं। गत दो तीन माह पूर्व दो गरीब परिवार जिनके पुराने पूर्वज उक्त कब्रिस्तान में ही दफन है।उन दो अलग-अलग परिवारों में दो सदस्यों की मौत हुई। उन दोनों परिवारों का एक मात्र कब्रिस्तान वो ही था।
उक्त दोनों भाइयों ने उन दोनों परिवारों के मुर्दों को कब्रिस्तान में दफन नहीं होने दिया। जिससे उन दोनों परिवारों ने लड़ाई झगडे व मुर्दे की बेहुरमती को देखते हुए। उस समय दुसरे लोगो के हाथ पांव जोड़ कर उनके पूशतैनी कब्रिस्तानों में अपने मुर्दों का दफीना कराया।
जबकि कब्रिस्तान के बराबर में एक पुराना मन्दिर भी है। कब्रिस्तान के आसपास दोनों समुदायों के लोग भी पुराने समय से ही रहते चले आ रहे हैं।
श्री अंसारी ने इस सम्बन्ध में मुख्य विकास अधिकारी को सम्बोधित एसडीएम नगीना की अध्यक्षता वाले तहसील सम्पूर्ण समाधान दिवस में सौंपे शिकायती
पत्र में अल्पसंख्यक विभाग बिजनौर के अधिकारियों व पूर्व में रहे नगीना तहसील में लेखपाल ब्रिजेन्द्र सिंह वर्तमान में धामपुर तहसील में तैनात हैं। जोकि इस कब्रिस्तान के बारे में विस्तार से जानकारी रखते हैं ।उनकी एक टीम गठित कर कब्रिस्तान के बराबर में रह रहे दोनों समुदायों के लोगों से वर्ष 1998 में कब्रिस्तान को जोत की जमीन व आबादी के बीच होने की जांच-पड़ताल कराकर। फर्जी तरीके से कब्रिस्तान को जोत की जमीन दिखाकर उसका बैनामा कराने वाले दंबग दोनों भाइयों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कराने व कब्रिस्तान की वक्फ कमेटी को पुलिस सुरक्षा के बीच कब्रिस्तान की बाउंड्री वॉल के निर्माण कराने कि गुहार लगाई है।
उधर मौहम्मद इरफान अंसारी का कहना है कि यदि अल्पसंख्यक / वक्फ कार्यालय बिजनौर व स्थानीय अधिकारियों ने उक्त दंबग दोनों भाइयों से वक्फ कब्रिस्तान को मुक्त नहीं कराया तो मजबूरन कब्रिस्तान को मुक्त करवाने के लिए प्रदेश के तेज़ तर्रार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के लखनऊ दरबार में हाजिर होकर गुहार लगाने जाना पड़ेगा।
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