प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस बार बनारस से तीसरी बार आसान नहीं है चुनाव जीत पाना, आखिर क्यों?

बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए लखनऊ से मुस्तकीम मंसूरी की ख़ास रिपोर्ट।

बनारस में नरेंद्र मोदी के खिलाफ़ बेरोज़गारी, पेपर लीक,  युवाओं के ओवर ऐज होने,व अग्नि वीर जैसे मुद्दों ने मोदी की हैट्रिक को खतरे में डाला।

लखनऊ, बनारस से लगातार सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के अनुसार इस बार बनारस के युवाओं के बीच नरेंद्र मोदी के खिलाफ लहर चल रही है। इसके मुख्यतः तीन  कारण है। युवाओं में तेजी से बढ़ती बेरोजगारी, बार-बार परीक्षाओं का पेपर लीक होना, जिसके कारण परीक्षा का ना हो पाना, और लाखों युवाओं का ओवर ऐज हो जाना, जिसको लेकर युवाओं में मोदी सरकार के ख़िलाफ़ जबरदस्त विरोध का माहौल बना


हुआ है। इसके अलावा युवाओं में अग्नि वीर योजना में चार साल की सेना में भर्ती की प्रक्रिया को लेकर सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा भी देखा जा रहा है। हैरत की बात तो यह है की बनारस के चुनाव में जहां मंदिर का मुद्दा समाप्त है, वही हिंदू मुस्लिम, मंदिर मस्जिद, मंगलसूत्र जैसे मुद्दे भी युवाओं को प्रभावित नहीं कर पा रहे हैं। इसी तरह कमर तोड़ महंगाई को लेकर महिलाओं में भी मोदी का मंगलसूत्र वाला मुद्दा भी विफल हो चुका है। बल्कि मोदी के तमाम मुद्दों के सामने संविधान का मुद्दा प्रमुखता ले चुका है। बनारस ही नहीं पूरे पूर्वांचल में संविधान मुख्य मुद्दा बन गया है। गौर तलब है कि पूर्वांचल के 35% दलित मतदाताओं में इस बात का डर है कि नरेंद्र मोदी अगर सत्ता में आए तो इस बार संविधान खत्म कर देंगे। यही कारण है कि संविधान के सामने नरेंद्र मोदी की गारंटी भी कोई ख़ास प्रभाव नहीं डाल पा रही है। बनारस

सहित पूरे पूर्वांचल में दलित समाज विशेष कर बसपा सुप्रीमो मायावती का सजातीय समाज भी बाबा साहब के संविधान के सामने बसपा सुप्रीमो मायावती पर भी विश्वास करने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि इस बार बनारस में मोदी की राह आसान नहीं है।

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