देश में सत्ता बदलने की आहट हुई तेज, अफ़सरों से लेकर मीडिया तक के बदलते सुर सत्ता परिवर्तन की ओर इशारा कर रहे हैं।

बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट।

लखनऊ, लोकसभा चुनाव के 4 चरण के मतदान के बाद केन्द्र से BJP की विदाई लगभग तय हो चुकी है। जैसा कि वोट का प्रतिशत और BJP के कोर वोट बैंक की उदासीनता ने BJP की नींद उड़ा कर रख दी है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और BJP के सबसे सुरक्षित राज्य में देश में सबसे कम वोटिंग ने बता दिया है कि अब केंद्र में सत्ता परिवर्तन निश्चित है।


BJP के सत्ता से दूर होने की भनक पहले अधिकारियों को और अब मीडिया को भी लग चुकी है, यही कारण है कि अधिकारियों ने जहां BJP नेताओं से दूरी बनाना शुरू कर दी है, वहीं मीडिया का सुर भी अचानक से बदलता नज़र आ रहा है।

 सत्ता परिवर्तन के जो इनपुट Intelligence Bureu और अन्य ग्राउंड रिपोर्ट से सरकार के पास पहुँचे हैं, वे सब अधिकारियों के बीच चर्चा और चिंता दोनों का विषय बन गये हैं।डेपुटेशन पर दिल्ली में तैनात कुछ अफ़सरों ने डेपुटेशन समाप्त कर वापस अपने गृहराज्य में जाने का आवेदन दे दिया है।

केन्द्रीय गृहमंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से गुजरात के अफ़सरों का भी अचानक से मोहभंग हो गया है। अपने गृहराज्य गुजरात वापस जाने का आवेदन देने वाले अफ़सरों की सबसे लंबी क़तार है।सूत्रों का कहना है कि केन्द्रीय गृहमंत्रालय की दूसरी मंज़िल पर 16 अप्रैल 2024 को लगी आग भी कोई सामान्य घटना नहीं है। इसके पीछे भी सत्ता परिवर्तन की ही कहानी है।मध्यप्रदेश के वल्लभ भवन मंत्रालय में 9 मार्च 2024 को लगी भीषण आग से केन्द्र सरकार की कई योजनाओं के दस्तावेज जलकर ख़ाक हो गये। यह भी सबूत जलाओ कार्यक्रम ही प्रतीत होता है।मीडिया के सुर भी बदले बदले नज़र आने लगे हैं। पिछले तीन महीनों में किसी भी न्यूज़ चैनल ने नरेंद्र मोदी को विश्वगुरू बताने वाली कोई खबर नहीं चलाई है।

जी न्यूज के मालिक सुभाष चन्द्रा ने वीडियो जारी कर भारत में प्रेस की स्वतंत्रता को ख़तरे में बताया और सार्वजनिक तौर पर मोदी सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है।

इंडिया टुडे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कांग्रेस के मैनिफ़ेस्टो के बारे में परोसे झूठ का पर्दाफ़ाश कर परिवर्तन के स्पष्ट संकेत दे दिये हैं।

कांग्रेस का विज्ञापन छापने/दिखाने से कतराने वाले अख़बारों/चैनलों ने पहले और दूसरे चरण के बाद अपना स्टैंड बदल लिया है।

 नेशनल और प्रादेशिक मीडिया धीरे धीरे BJP सरकार की गोदी से नीचे उतरकर अपने पाँव पर खड़ा होने की कोशिश करने लगा है।

बदलाव की ये आहट तीसरे चरण के मतदान के बाद तब और पक्की हो गई जब BJP के कोर वोट बैंक वाले बूथों पर मतदान के प्रति कोई उत्साह नज़र नहीं आया। यहाँ तक कि उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में BJP के पोलिंग एजेंट मतदान की समाप्ति के पहले ही पोलिंग बूथ से नदारद मिले।

BJP का “अबकी बार 400 पार” का अफ़लातूनी नारा अब “अबकी बार 400 सीटों पर हार” में तब्दील हो चुका है।

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