अखिल भारतीय किसान सभा की मंडल बैठक में किसानों से देश, लोकतंत्र और भाईचारा बचाने का आव्हान

इस सरकार को किसानों द्वारा राजनीतिक चुनौती भी देनी होगी : रामपाल सिंह 

स्योहारा (बिजनौर- यूपी)(अनवार अहमद नूर) यहां एम क्यू इंटर कॉलेज में अ० भारतीय किसान सभा की मंडल बैठक इन्द्र कुमार शर्मा (मंडल अध्यक्ष किसान सभा) की अध्यक्षता और मौ० इकराम के सफल संचालन में संपन्न हुई।


बैठक के मुख्य अतिथि किसान सभा के पूर्व राज्य उपाध्यक्ष रामपाल सिंह रहे। उन्होंने अपने उदघाटन भाषण में वर्तमान सरकार को आड़े हाथों लेते हुए किसानों को अपने और अपने देश, संविधान और भाईचारा को बचाने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने को कहा। और बताया कि यदि किसान संघर्ष करें तो बड़ी से बड़ी ढीठ सरकार को भी झुका सकते हैं जैसे

किसानों ने आंदोलन करके मोदी सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने पर मजबूर कर दिया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसानों के साथ बहुत नाइंसाफी हो रही है। इसलिए सत्ता को हिलाना आवश्यक है। दिल्ली की लड़ाई से बड़ी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। देश में साम्प्रदायिक बंटवारे की और नफ़रत फैलाने की कोशिश हो रही है। जिससे किसानों की ज़िम्मेदारी और संघर्ष बढ़ गया है। इसलिए सरकार को किसानों द्वारा राजनीतिक चुनौती देनी ही पड़ेगी।

देश के लोकतंत्र,एकता,अखण्डता और भाईचारे को बचाने की ज़रूरत है। आज सबसे बड़ा खतरा घृणा का वातावरण और हेट स्पीच है जिसके खिलाफ़ हम सबको लड़ना है।उन्होंने कहा कि वर्तमान मोदी सरकार अपने कार्यों से बता रही है कि वह जनता की नहीं बल्कि पूंजीपतियों की सरकार है। ग़रीब का पैसा अमीर की जेब में जा रहा है। देश की आमदनी और सरमाया सिर्फ़ दस प्रतिशत के पास है और पहुंच रहा है। अब देश के 80 करोड़ लोग ग़रीब हैं तो आप देश की स्थिति को किसी नंबर पर दिखाते रहिए क्या फर्क पड़ता है।


मोदी जी ने लोकतंत्र में राजदंड स्थापित करके अपनी राजशाही को साबित किया है। अब आवश्यकता है कि देश को बचाओ, किसानों को बचाओ, लोकतंत्र और संविधान को बचाओ, देश की धर्मनिरपेक्षता को बचाओ, अन्यथा किसान भी टूटेगा और देश भी टूट जाएगा।मंडल मंत्री मोहम्मद तैयब ने संगठन की कार्रवाई रिपोर्ट पेश की। माकपा के ज़िला मंत्री विजेन्द्र सिंह ने कहा कि किसानों को अन्नदाता कहकर ख़ुश कर दिया जाता है उसकी दुर्दशा को नहीं देखा जाता। वर्तमान सरकार विदेशी बैसाखियों पर चल रही है। ग़रीब बस्तियों पर पर्दा ढक कर, विदेशी मेहमानों को सोने चांदी के बर्तनों में खाना खिलाया जाता है।  कामरेड इसरार अली ने गन्ना की फ़सल की बरबादी और उस पर सरकार से मुआवज़ा की मांग रखी। सहसपुर के डाक्टर वकील अहमद और चांदपुर क्षेत्र के मांगेराम ने भी अपने विचार प्रकट किए। अमर सिंह ने किसान और मजदूर को एकजुट होकर संघर्ष करने का आव्हान किया।

ज़िला मंत्री फरीद अहमद ने अपने संबोधन में कहा कि किसान सभा लगातार किसानों और उनकी समस्याओं के लिए संघर्षरत है। उन्होंने कहा कि देश के संविधान और भाईचारा को बचाने की ज़रूरत आन पड़ी है तो किसान सभा को आगे आकर इसके लिए संघर्ष करना है।

इस अवसर पर एक कमेटी गठित की गई जिसमें इंद्र कुमार शर्मा, मोहम्मद तय्यब, इसरार अली, मोहम्मद आरिफ़,जाबिर हुसैन, दौलत सिंह, मोहम्मद यामीन, खलील अहमद अनवार अहमद, भोले सिंह, मशकूर एडवोकेट, ज़रीफ भाई, मतलूब जलील, मोहम्मद याकूब, रिसालत चौधरी, मोहम्मद इकराम, अज़ीम अहमद जॉनी, वकील अहमद शामिल हैं।



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