बज्मे फराज ए अदब,रजिस्टर्ड ने गालिब एकेडमी, बस्ती निजामुद्दीन, नई दिल्ली. 13 मे कनाडा से आए विश्व विख्यात शायर, विद्वान, स्कॉलर, तनकीद निगार, प्रख्यात लेखक वा अन्य गुणों के मालिक डॉक्टर सय्यद तकी आबेदी के लिए अन्तर राष्ट्रीय नातिया मुशायरा आयोजित कराया

नई दिल्ली बज्मे फराज ए अदब,रजिस्टर्ड ने गालिब एकेडमी, बस्ती निजामुद्दीन, नई दिल्ली. 13 मे कनाडा से आए विश्व विख्यात शायर, विद्वान, स्कॉलर, तनकीद निगार, प्रख्यात लेखक वा अन्य गुणों के मालिक डॉक्टर सय्यद तकी आबेदी के लिए अन्तर राष्ट्रीय नातिया मुशायरा आयोजित कराया।जिसकी अध्यक्षता डॉक्टर सैय्यद तकी आबेदी ने की,जबकि निजामत, मेज़बान सरफराज़ अहमद फ़राज़ देहलवी ने बखूबी अंजाम दी। महमाने खुसूसी के तौर पर नईम बदायूनी, मतीन अमरोहवी, डॉक्टर अकील अहमद और मेंहमान ए जी वकार के तौर पर संतोष  मिलवाते हाली का विमोचन किया और डॉक्टर तकी आबिदी ने तोसीफि खुतबा दिया। हाजरीन आपकी तकरीर से बहुत प्रभावित हुए।


 



शायरों ने अपना बेहतरीन कलाम पढ़ा। जिस से सामइन बहुत प्रभावित हुवे।

   पेश हैं कुछ खास अशार.....

भटके हुवे मंजिल पहुच जायेंगे खुद ही।

रस्तों से अगर राहनुमाओ को हटा दो।।

लोगों में फकत ऐब नज़र आते हैं जिस को।।।

उसको भी कभी आयना खाने में बैठा दो।।।।

 डॉक्टर सय्यद तकी आबिदी


गुलो में खुशबू बसी हुई है खुलि हुई हैं दिलों की कालिया

ये आज में कोन आया महक रही तमाम गलियां।।

   मतीन अमरोहवी


क्या बयां हो फराज उनके औसाफ का, है कर्म यह भी उनकी इनायत का।

जब से पढ़ने लगा हूं मैं नाते नबी, ऐसा लगने लगा शायरी आ गई।।

  सरफराज अहमद फ़राज़ देहलवी


तासीर किस क़दर है मदीने की धूल में।

खिलते हैं फूल भी यहां शाखे बबूल में।।

  जहीना सिद्धिकी


सारे नबियो में सब से आला है।

जो रसूले खुदा हमारा है।।

       फ़हीम जोगापुरी


इस तरहां मुनव्वर है तेरी याद से सीना।

जिस तरह अंगूठी में चमकता है नगीना।।

      नईम बद


मुझ पे एहसान हर घड़ी काम।

रात दिन सुभा व शाम है उनका।।

        वफ़ा आज़मी


जो मेरे लब पर हक बयानी है। 

ये तो रब ही की मेहरबानी है।।

   सुप्रिया सिंह


जो लिख दिया है खुदा ने वो मिट नहीं सकता।

तेरे यकीन से मेरा गुमान बेहतर है।।

             परवीन व्यास


दुनिया की शोरिष से मानूस हूं बहुत।

तनहाइयो में रहने की आदत नहीं मुझे।।

     फोजिया अफ़ज़ल


फिर से खुशियां नई पाएगा।

के निशान जवाहर मिला मुझको।।

      सीमा कौशिक


उसका बस्ती में आना जाना था।

नौ जवानों का वो निशाना था।।

    अनिल मीत


उर्वी ऊदल, सपना एहसास, असलम जावेद, एहतराम सिद्दीकी, गुस्ताख हिंदुस्तानी, डॉक्टर रेखा व्यास, अरीब ख़ान, बी आर वर्मा, देव शर्मा, वा दीगर शोरा ने अपना बेहतरीन कलाम पेश किया।

  काफी बड़ी संखिया में लोग मुशायरे में आखीर तक  रहे।

 बजम के अध्यक्ष सरफराज अहमद फ़राज़ देहलवी ने कहा की ये मुशायरे हमको एक साथ जोड़ने का एक सफल प्रयास है,जो हम निरंतर करते रहेंगे।इस से बेहतर रास्ता साहित्य/अदब की खिदमत का और कोई नजर नहीं आता।हैं सब को मिल कर साथ चलना है।

    सदरे मुशायरा ने सभी का शुक्रिया अदा किया। और अपने मुख से कोमल कोमल शब्दो से सभी का मन मोह लिया।

   बाद रोजा इफ्तार मुशायरा संपन हुवाई।

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