विधान परिषद स्नातक क्षेत्र व खंड शिक्षक क्षेत्र की पांच सीटों पर हुए चुनाव में सपा की करारी हार के लिए सपा संगठन या सपा सुप्रीमो आखिर कौन है जिम्मेदार?

 बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए मुस्तकीम मंसूरी की खास रिपोर्ट, 

लगातार हार दर हार के बाद विधान परिषद चुनावों में भी सपा को मिली करारी हार, आखिर क्यों? 

Mustakeem
mansoori

लखनऊ, विधान परिषद स्नातक क्षेत्र की 3 सीटों व  खंड शिक्षक क्षेत्र की 2 सीटों पर हुए विधान परिषद के चुनाव में भाजपा ने चार और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है| वही समाजवादी पार्टी को विधान परिषद चुनाव में निराशा हाथ लगी है| विधान परिषद चुनाव के नतीजों की घोषणा के अनुसार बरेली मुरादाबाद खंड स्नातक सीट पर भाजपा के डॉक्टर जयपाल सिंह व्यस्त ने दोबारा जीत हासिल की है, वही कानपुर खंड स्नातक सीट से भाजपा के अरुण पाठक और गोरखपुर फैजाबाद स्नातक सीट पर भाजपा के देवेंद्र प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की, वही प्रयागराज झांसी खंड स्नातक सीट पर भाजपा के डॉक्टर बाबूलाल तिवारी को जीत हासिल हुई, इस तरह भाजपा को 5 में से 4 विधान परिषद सीटों पर जीत का परचम लहराने का अवसर मिला वही कानपुर शिक्षक स्नातक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी राम बहादुर सिंह चंदेल ने जीत हासिल की है| इस तरह विधान परिषद चुनाव में सपा की करारी हार के  लिए कौन है जिम्मेदार यह प्रश्न बड़ा विचारणीय है| अगर भाजपा की शानदार जीत की बात करें तो इसके लिए भाजपा का मजबूत संगठन और कुशल रणनीति को आधार माना जा रहा है| वही सपा की करारी हार का कारण सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव कि अनुभव हीनता के साथ ही नियुक्त किए गए चुनाव प्रभारियों और संगठन के पदाधिकारियों के साथ ही पार्टी के बड़े नेताओं एवं सपा पार्षदों की की चुनाव में कोई खास दिलचस्पी ना लेना माना जा रहा है| वहीं भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा पढ़े-लिखे मतदाताओं का वोट बनवाने से लेकर वोट डलवाने तक मजबूत संगठन और कुशल रणनीति को ही जीत का आधार माना जा रहा है| वही बात करें समाजवादी पार्टी की तो पूरे प्रदेश में वार्ड एवं बूथ  स्तर तक का संगठन कागजी होने के कारण  बरेली मुरादाबाद खंड स्नातक क्षेत्र के बीस हजार से अधिक पढ़े-लिखे मुस्लिम मतदाताओं का सपा के पदाधिकारियों और पार्षदों द्वारा वोट ना बनवाना भी सपा की हार का बड़ा कारण माना जा रहा है, इसी तरह गोरखपुर फैजाबाद खंड स्नातक सीट के साथ ही कानपुर खंड स्नातक सीट पर सपा की पराजय के लिए सपा के पार्षद सपा के पदाधिकारियों के साथ ही प्रदेश स्तर के बड़े पदाधिकारी जितने जिम्मेदार हैं उससे कहीं अधिक सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को जिम्मेदार माना जा सकता है| क्योंकि अखिलेश यादव में नेता नेताजी स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव जैसे गुण न होने के साथ ही पूरे प्रदेश के जिला स्तरीय संगठन में कर्मठ जुझारू जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करके संगठन से बाहर रखना भी सपा की करारी हार का कारण माना जा रहा है| राजनीतिक जानकारों का मानना है लगातार हार दर हार के बाद विधान परिषद चुनाव में मिली करारी हार से शायद अखिलेश यादव सबक लेकर आगामी निकाय चुनाव से पहले अपनी रणनीति और रणनीतिकारों को बदल कर संगठन की कमान जिला स्तर पर मजबूत कर्मठ संघर्षशील जमीन से जुड़े सपाइयों को अगर नहीं सौंपेंगे तो निकाय चुनाव सपा बनाम भाजपा ना होकर भाजपा बनाम निर्दलीय होने के संकेत हैं ऐसी स्थिति में अगर उत्तर प्रदेश में सपा का सूपड़ा साफ होता है तो 2024 की राह सपा के लिए आसान नहीं होगी|

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