खिरियां की बाग में काकोरी के वीर शहीदों की साझी शहादत-साझी विरासत दिवस का प्रथम दिन।
खिरियां की बाग(जमुआ हरिराम)कप्तानगंज (17 दिसंबएर 2022) आजमगढ़। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में काकोरी के वीर शहीदों की साझी शहादत-साझी विरासत की याद में "शहीद स्मृति सभा" का प्रथम दिवस शहीद राजेंद्रनाथ लाहिड़ी की शहादत दिवस के रुप में केंद्रित रहा। स्मृति सभा शुरू करने से पहले शहीद-वेदी पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए काकोरी के शहीदों व किसान शहीदों को श्रध्दांजलि दी गई।
आज 66 दिनों से चल रहे आंदोलन के समर्थन में क्रांतिकारी किसान यूनियन के राज्य प्रभारी शशिकांत ,रमेश विद्रोही,संहति किसान मजदूर मंच की ऋचा सिंह ,बिठौली, रामबेटी, निर्मला उतरे।
वक्ताओं ने बताया कि राजेंद्रनाथ लाहिड़ी काकोरी कांड का वह वीर थे जिसे अंग्रेज़ों ने तय समय से पहले दे दी फाँसी!
“…मैं मर नहीं रहा हूँ, बल्कि स्वतंत्र भारत में पुनर्जन्म लेने जा रहा हूँ” ये अंतिम शब्द थे फांसी के फंदे पर चढ़ने वाले स्वतंत्रता सेनानी राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी के। वक्ताओं ने कहा कि काकोरी के वीर शहीदों को इसलिए याद करना जरूरी है क्योंकि उनका सपना था कि देश की बागडोर मेहनतकश मजदूरों-किसानों के हाथों में हो।ऐसी राज्य व्यवस्था हो जिसमें एक मानव के द्वारा दुसरे मानव का शोषण न हो और एक देश के द्वारा दुसरे देश का शोषण न हो। काकोरी के उन शहीदों का सपना आज भी अधूरा है।आज देश की लोकतांत्रिक मूल्यों, प्राकृतिक संसाधनों, सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को औने-पौने दामों पर चंद कारपोरेट घरानों के हवाले किया जा रहा है।खिरियां के बाग का आंदोलन अपने जमीन-मकान बचाने की लड़ाई से शुरु होकर लोकतंत्र बचाने की लड़ाई बनेगी। स्मृति सभा को किसान नेता ऋचा सिंह, शशिकांत, डा.रविन्द्रनाथ राय,रमेश विद्रोही,राजीव यादव,इंद्रासन सिंह, बिठौली,रामबेटी,ललिता राजभर, दीपू,ओमप्रकाश भारती आदि ने संबोधित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विनय उपाध्याय और संचालन रामनयन यादव ने किया।
* रामनयन यादव
9935503059
जमीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा, आजमगढ़
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