राजनारायण एक नाम नहीं इतिहास है पुस्तक समाजवादी विचारों एवं आंदोलनों पर विश्वास रखने वालों के लिये संजीवनी का काम करेगी- संजय सिंह
ReportBy: S A Betab
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि राजनारायण एक नाम नहीं इतिहास है पुस्तक समाजवादी विचारों एवं आंदोलनों पर विश्वास रखने वालों के लिये संजीवनी का काम करेगी।
सांसद संजय सिंह यहां गांधी प्रतिष्ठान में समाजवादी चिंतक और राजनारायण के शिष्य व लेखक शाहनवाज हुसैन की लिखित पुस्तक राजनारायण एक नाम नहीं इतिहास है! के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन लोकबंधु राजनारायण के लोग ट्रस्ट, लखनऊ के तत्वावधान में किया गया। सांसद सिंह ने कहा कि राजनारायण को अधिकांश समाजवादी, बुद्धिजीवी एवं राजनीतिज्ञ केवल अन्याय के खिलाफ़ संघर्षशील योद्धा और सत्याग्रही के तौर पर ही जानते हैं। इसी को उनका व्यक्तित्व-कृतित्व मानकर उनका सतही मूल्यांकन किया जाता रहा, लेकिन राजनारायणजी की स्वतंत्रता सेनानी से शुरू होकर लोकबन्धु तक की यात्रा अविस्मरणीय है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ समाजवादी चिंतक एवं विचारक रघु ठाकुर ने आजादी में शामिल लोगों का इतिहास दबा दिया गया। राजनारायण की लोकतंत्र के प्रतिबद्धता को देखते हुए एक बार राममनोहर लोहिया ने कहा था कि देश में जब तक राजनारायण जिंदा है तब तक देश में लोकतंत्र खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि राजनारायण का पूरा जीवन संघर्ष में बीता। उन्होंने पहले आजादी के लिए संघर्ष किया, फिर वे समाजवाद के लिए लड़े और फिर उन्होंने अंतिम दिनों में अपनों से संघर्ष किया। आज के राजनेताओं में समानता की भूख की बजाय परिवारवाद की भूख अधिक है। यदि समानता की भूख नहीं होगी तो देश को लोहिया, मधुलिमए और राजनारायण जैसे लोग समाज में पैदा नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि आज पूंजीवाद से कोई नहीं लड़ रहा बल्कि जातीय संगठन खुद एक दल बनते जा रहे। यह संविधान और सेक्यूलर के लिए खतरा है।कार्यक्रम की सदारत कर रहे पूर्व सांसद उबैदल्लाह खान आजमी ने कहा कि देश में कुछ लोग हिन्दु मुस्लिम, कुछ अपने गांव शहर व स्कूल, कुछ लोग अपनी सियासत, धर्म और धर्मनिरपेक्षता से पहचाने जाते हैं। वहीं राजनारायण के नाम से बनारस से लेकर पूरा हिन्दुस्तान पहचाना जाता है। उनके नाम से जम्हूरियत और सेक्यूलरिज्म पहचाना गया। ऐसी शख्शियत को आज हम सब श्रद्धांजलि दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनारायण के एक्शन के सामने रिएक्शन ने दम तोड़ दिया था। उन्होंने भाजपा का नाम लिए बगैर कहा कि आज जो उनका एक्शन है, उसका दम तोड़ने के लिए राजनारायण के रिएक्शन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सफेद अंग्रेज चले गए लेकिन वे अपनी काली औलादें यहीं पैदा कर गए। अंग्रेजों ने हिन्दुस्तानियों को गुलामी की जंजीरों में कस हिन्दुस्तानियों को तबाह किया था, आज अंग्रेजों की काली औलादें हिन्दुस्तान के मजबूत नजरिए को दफन करने के चक्कर में पड़ी है।
पूर्व सांसद आजमी ने कहा कि शरीर पर एक निकल रहे एक के बाद एक फोड़ों से निजात पाने के लिए अब टैबलेट और इंजेक्शन से काम नहीं चलेगा। आज लोकतंत्र पर डिक्टेटरशिप और समाजवाद पर जहरवाद के फोड़े निकल रहे हैं, इन फोड़ो से निजात पाने के लिए टैबलेट और इंजेक्शन से काम नहीं चलेगा। अगर शरीर को मजबूत रखना है तो शरीर के खराब खून को बदलना होगा। इस खराब खून का नाम आरएसएस और भाजपा है। इसके लिए आप सबको आगे आना होगा।
वरिष्ठ समाजवादी चिंतक-विचारक एवं पूर्व विधायक प्रो.राजकुमार जैन ने कहा कि सत्ताधारियों का गुणगान होना एक मामूली रिवायत है, परंतु राजनारायण के इंतकाल के 36 बरस बाद भी अगर आज उनकी बातें होती है और उनको यादों में जिंदा रखने के लिए दीवाने इस मशाल को जलाए हुए हैं। उसी की एक मिसाल मेरे सोशलिस्ट साथी शाहनवाज़ अहमद क़ादरी हैं। हैदराबाद से आए वरिष्ठ समाजवादी चिंतक-विचारक एवं पूर्व जज ठाकुर गोपाल सिंह ने कहा कि राजनारायण समाजवाद को राष्ट्र की प्रगति का एक प्रधान कारण मानते थे और वह दलितों को मुख्यधारा से जोड़कर समाज और राष्ट्र का विकास चाहते थे।
समारोह में डा लोहिया एवं राजनारायण के सैद्धान्तिक एवं वैचारिक संघर्षों के लिये अनवरत प्रयत्नशील रहने वाले सांसद संजय सिंह, पूर्व न्यायाधीश ठाकुर गोपाल सिंह, सोशल एक्टिविस्ट अभिषेक रंजन सिंह, सोशल एक्टिविस्ट अभय सिन्हा और शोधकर्ता श्रीमती निशा राय को लोकबन्धु साहित्य रत्न सम्मान 2022 से विभूषित किया गया।
पुस्तक राजनारायण एक नाम नहीं इतिहास है के लेखक व संपादक समाजवादी चिंतक शाहनवाज हुसैन कादरी ने किया और इसके सलाहकार संपादक का दायित्व वरिष्ठ पत्रकार ओम पीयूष ने किया है। कार्यक्रम को महाराष्ट्र के शब्बीर विद्रोही, वरिष्ठ नेता हरीश खन्ना, बिहार के पूर्व मंत्री इखलाक, संविधान बचाओ आंदोलन से जुड़े सफी साहब ने भी संबोधित किया। इसके अलावा डॉ सुनीत दीवान, समाजवादी क्रांति प्रकाश, टिल्लन रिछारिया, गोपालजी राय आदि कार्यक्रम में मौजूद रहे।
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