संघ शक्ति कलयुगे"
मनोज शर्मा |
जन्माष्टमी का पर्व है। कल भगवान कृष्ण का भी यही उपदेश है "संघ शक्ति कलयुगे" संघ माने संगठन ।कलयुग में संगठन ही शक्ति होगी और मैं भी वही वास करूँगा। मतलब जब जब धर्म की हानि होगी मैं वहां आऊंगा। पर वहां जहां संगठन होगा। चार लोग मिलकर धर्म की रक्षा के लिये संगठित होंगे।
क्योंकि अकेला व्यक्ति सम्पत्ति तो एकत्र कर सकता है। धन जोड़ सकता है मकान पे मकान बना सकता है पर वो न तो अपनी रक्षा कर सकता है और न ही समाज की और न ही अपने जोड़े हुए धन की। अतः कलयुग में मुझे पाना है अधर्म से अपने को बचाना है क्योंकि कलयुग में अधर्मी लोग संगठित होंगे तरह तरह के पाप कार्य करेंगे क्रूरता पूर्ण व्यवहार करेंगे। माता बहनों की लाज बचाने कोई भी आगे नही आएगा क्योंकि वो ज्यादा संख्या में होने के बाद भी संगठन में नही होंगे और अधर्मी लोग कम संख्या में होने के बाद भी संगठित होंगे। वो आपका वो सब छीन लेंगे जो आपने एकत्र किया होगा।
कलयुग में लोग पैसे को ही अहमियत दे रहे होंगे। चाहे वो किसी तरह भी कमाया गया हो। वेश्या दलाल और ग्राहक को लोग इज्जत दे रहे होंगे क्योंकि वो ज्यादा संख्या में संगठित होंगे।
शरीफ आदमी ,बुद्धिमान आदमी पैसे तो कमाएगा पर किसी को न देने पड़ जाए कही भाई, सगा संबंधी पड़ोसी बीमार है उसको न देने पड़ जाए किसी की बिटिया के हाथ पीले हो रहे हो वहां न देने पड़ जाये। चाहे चोर उसे लूट जाए या एक उन्मादी भीड़ उसका घर उजाड़ जाए। उसका परिवार समाप्त कर जाए पर रहेंगे अलग अलग और कोई संगठन की बात करे भी तो उसे हिकारत भारी नज़रो से देखेंगे। भाई हम अपनी सुरक्षा खुद कर लेंगे। और जब तूफान आता है तो सब बहा ले जाता है।
भगवान श्री कृष्ण अपनी बाल लीलाओं में यही चित्रण करते है कि कैसे हम छोटी छोटी खुशियों को मिल बांट कर खाएं। वो चाहते तो उनके यहां सैकड़ो गाय थी। जिनका दूध निकलता था। मक्खन निकलता था। घी निकलता था एक बालक को कितना चाहिए पर वो सब अपने मित्रों के साथ उस मटकी को फोड़ कर मिल बांट कर खाया करते थे और सब के साथ मिल कर खेल रचाया करते थे।
उन्होंने संगठन करके ही ग्वालो का उनको कंस जैसे शक्तिशाली राजा से लड़वा दिया और अधर्म पे धर्म की विजय दिलवाई। और महाभारत काल मे भी अर्जुन को उपदेश देते हुए उन्होंने ये ही कहा कि अधर्म के खिलाफ तुम्हे लड़ना ही होगा चाहे सामने अपने कितने ही खास हो। जिसे हम गीता का उपदेश कहते है। और वो गीता का उपदेश आज पूरे विश्व मे 5000 वर्ष बाद भी उतना ही उपयोगी है जितना तब था। हम सभी जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को नमन करते है।
मनोज शर्मा "मन"
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